Sandhya

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2021

बहता आखोँ से पानी फिर भी कोरे ना भीगा करती ,रोज ही दिन ढल जाता लेकिन रात ना आया करती ,छुकर जाती जब पवन हमें यादों के साज महकते ,तेरे कदमों की आहट से हृदय के तार खनकते ,काश तुम्हें हम भूल पाते 

   5
0 Comments